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पुष्कर : भदावर राजा घाट

पुष्कर  सरोवर अद्र्ध चंद्राकार आकृति में बनी यह पवित्र व पौराणिक झील  पुष्कर का प्रमुख आकर्षण है। तीर्थराज पुष्कर का भदावर राजा घाट पर नगर पालिका का कार्यालय है, इस घाट पर इन्देश्वर महादेव मंदिर है, इसे पुराना थाना भी कहते है।

हथकांत की गौरव गाथा

हथकांत भदौरियों की चार चौरासियों में से एक है अन्य तीन चौरासी अकौडा, कनेरा, मावई है। हथकांत मध्यकाल में रवितनया-जमुना एवं विन्ध्याकुमारी-चम्बल के मध्य विषम खरो, गहन-वन के बीच एक समृद्ध नगर था। जिसे हस्तिक्रान्तिपुरी के नाम से जाना जाता था बाद में ये हथकांत के नाम से जाना गया। हथकांत अपने गहन सघन कान्तारों के लिए प्रसिद्ध रहा है। महाभारत काल में हथकांत क्षेत्र को ‘महत् कान्तार’ (गहन-वन, अथवा दुर्गम-पथ) कहा गया हैं। यह वीर-प्रसवनी भूमि ऊँचे-नीचे कगारों-टीलों पर प्रकृति की बिछाई हुई विपुल वन-राशि से सुशोभित अति रमणीक और सुहावनी है। भदावर की प्राचीनतम राजधानी हथकांत ही थी, जो पिछले कुछ समय तक, चम्बल नदी तट पर खण्डहर भव्य-भवनों व देवालयों का एक जनशून्य-उजाड़ ग्राम के रूप में दश्यु गिरोहों की आश्रय स्थली बनी रही थी। हथकांत किले के चम्बल के बीहड़ो में स्थित होने के कारण, सामरिक महत्व रहा है। हथकांत किला चम्बल घाटी मैं स्थित भदौरियों का विख्यात प्रधान-मुख्यालय था। हथकांत किले का निर्माण ईंटों और गारा-मिटटी से हुआ था किले में मुख्य रूप से दो प्रकार की ईंट प्रयुक्त हुई -लखुरी ईंट व कुषाड ई