भदावर में, कमल-गट्टों की जडे, भंसूडे कही जाती है, भसूंडे (कमल-ककडी) की सब्जी, श्रावण के महिने में बहुत अच्छी लगती है, भदावर में तो ये लोकप्रिय रही है एक पुरानी कहावत मश्हूर है “ कमला के बाग में कमलगटा, कमला ठाडी लहें लठा ॥ “ अर्थात: किसी के घर पर कोई फ़सल अच्छी हो जाती थी, और दूसरों के घर पर वह फ़सल नही होती थी, तो अक्सर गांव में एक दूसरे से मांग कर अपना काम चलाया जाता है, लेकिन किसी-किसी के घर का एक दाना भी बाहर नही जा सकता था, क्योंकि उस घर की मुखिया औरत हमेशा पहरेदारी में रहती थी, इस स्थिती के लिये कहावत कही जाती थी,यानी कमला के बाग में कमलगट्टे हैं, लेकिन उन कमलगट्टों को लेकर कैसे आयें वहां तो कमला लट्ठ लेकर खडी है। भदावर में तालाब सूखने पर बड़ी मुश्किलों से खोदी गई भसूडो की जड़ो को लोगो के कमजोरिया खोदने के आदत से भी जोड़ा जाता है और कहा जाता है "भसुंडी करबो छोड़ देओ" अध्यात्म व् ज्योतिष में भी कमल-गट्टों, कमल-ककड़ी का खासा महत्व रहा है, शुक्रवार, दीपावली, नवरात्रि या किसी देवी उपासना के विशेष दिन कमलगट्टे की माला से अलग-अलग रूपों में लक्ष्मी मंत्र जप देवी लक्ष्मी की कृ