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Showing posts from September, 2015
Bhadawar History Vedio

भदावरी पकवान : भसूंडे की सब्जी

भदावर में, कमल-गट्टों की जडे, भंसूडे कही जाती है, भसूंडे (कमल-ककडी) की सब्जी, श्रावण के महिने में बहुत अच्छी लगती है, भदावर में तो ये लोकप्रिय रही है एक पुरानी कहावत मश्हूर है “ कमला के बाग में कमलगटा, कमला ठाडी लहें लठा ॥ “ अर्थात: किसी के घर पर कोई फ़सल अच्छी हो जाती थी, और दूसरों के घर पर वह फ़सल नही होती थी, तो अक्सर गांव में एक दूसरे से मांग कर अपना काम चलाया जाता है, लेकिन किसी-किसी के घर का एक दाना भी बाहर नही जा सकता था, क्योंकि उस घर की मुखिया औरत हमेशा पहरेदारी में रहती थी, इस स्थिती के लिये कहावत कही जाती थी,यानी कमला के बाग में कमलगट्टे हैं, लेकिन उन कमलगट्टों को लेकर कैसे आयें वहां तो कमला लट्ठ लेकर खडी है। भदावर में तालाब सूखने पर बड़ी मुश्किलों से खोदी गई भसूडो की जड़ो को लोगो के कमजोरिया खोदने के आदत से भी जोड़ा जाता है और कहा जाता है "भसुंडी करबो छोड़ देओ" अध्यात्म व् ज्योतिष में भी कमल-गट्टों, कमल-ककड़ी का खासा महत्व रहा है, शुक्रवार, दीपावली, नवरात्रि या किसी देवी उपासना के विशेष दिन कमलगट्टे की माला से अलग-अलग रूपों में लक्ष्मी मंत्र जप देवी लक्ष्मी की कृ

भदावरी ज्योतिष

प्राचीन ग्रामीण कहावतें भी ज्योतिष से अपना सम्बन्ध रखने वाली मानी जाती थी , जिनके गूढ अर्थ को अगर समझा जाये तो वे अपने अनुसार बहुत ही सुन्दर कथन और जीवन के प्रति सावधानी को उजागर करती थी। इसी प्रकार से एक कहावत इस प्रकार से कही जाती है " मंगल मगरी , बुद्ध खाट , शुक्र झाडू बारहबाट , शनि कल्छुली रवि कपाट , सोम की लाठी फ़ोरे टांट " यह कहावत   भदावर   से लेकर चौहानी तक कही जाती है। इसे अगर समझा जाये तो मंगलवार को राहु का कार्य घर में छावन के रूप में चाहे वह छप्पर के लिये हो या छत बनाने के लिये हो , किसी प्रकार से टेंट आदि लगाकर किये जाने वाले कार्यों से हो या छाया बनाने वाले साधनों से हो वह हमेशा दुखदायी होती है। शुक्रवार को राहु के रूप में झाडू अगर लाई जाये , तो वह घर में जो भी है उसे साफ़ करती चली जाती है। शनिवार के दिन लोहे का सामान जो रसोई में काम आता है लाने से वह कोई न कोई बीमारी लाता ही रहता है , रविवार को मकान दुकान या किसी प्रकार के रक्षात्मक उपकरण जो किवाड गेट आदि के रूप में लगाये जाते है वे किसी न किसी कारण से धोखा देने वाले होते है , सोमवार को लाया गया

भदावरी कहावते -4

" नंगा कों मिली पीतर , बाहर धरे की भीतर ॥" अर्थात: ये कहावत इंसानी दिखावा परस्त व्यवहार को उजागर करती है किसी गरीब को जब पीतल के वास्तु मिल जाती है या कोई कीमती वास्तु प्राप्त होती है तो वह निश्चित है नहीं  कर पता की लोगो को दिखने के लिए उस वस्तु को किस जगह रक्खे। " नंगन के गड़ई भाई , बार - बार हगन गई ॥" एक गॉंव के दरिद्र व्‍यक्ति , जिसके पास कुछ भी नहीं था उसको अचानक एक गड़ई या लोटा -जल रखने व़ह परेशानी में था कि अब कैसे गॉंव के लोगों को यह पात्र दिखाकर अपनी धाक जमाये । तो वह बार- का पात्र मिल जाता है। अब चूँकि वह व्‍यक्ति तो दरिद्रता की वज़हसे ही प्रसिद्ध था , अत: बार पात्र में जल भरकर शौच केलिए जाता , जिससे लोगों को पता चल जाए कि दरिद्र के पास एक पात्र है। अर्थात किसी मनुष्‍य के पास जब कोई वस्‍तु आती है , तो वह दुनिया को उस वस्‍तु को दिखाने के सौ-सौ बहाने ढूंढता है। अब देखिए , वह दरिद्र व्‍यक्ति जिसके पास खाने-पीने की व्‍यवस्‍था तक नहीं है , वह पात्र लेकर बार-बार शौच के लिए जाता है ? सिर्फ़ प्रदर्शन के लिए !

भदावरी कहावते -3

कागज केडा पान मह दासी दुर्जन बाम , दस दाबे रस देत है रहुआ महुआ आम।। अर्थात : कागज को दबा कर यानी सुरक्षित रखने पर वक्त पर काम देगा , केले को बन्द स्थान मे रखने से मीठा बना रहेगा , पान को मुंह मे दबा कर रखने से रस देता रहेगा , मह यानी खुशबू को बंद रखने से वह बनी रहेगी , सेवको को धन और सम्मान से दबाकर रखने से वह भला बना रहेगा , दुष्ट व्यक्ति को दबा कर रखने से वह भला करता रहेगा शादी के बाद पत्नी को कुल रीतियों से दबाकर रखने से वह संस्कारी बनीं रहेगी , अन्जान रहुआ यानी अन्जान व्यक्ति को नजर मे रखने से और खुला नही छोडने से तथा महुआ जो मीठा रस देता है उसे दबाने से ही रस मिलता है आम को भी दबाने से रस मिलता है।     जिनके पशु प्यासे बंधे , त्रियां करें कलेश , उनकी रक्षा ना करें , ब्रह्मा विष्णु महेश ।। अर्थात : जिसके दरवाजे पर पशु प्यासे बंधे हुये है और घर की महिलायें क्लेश में रहती है तो उस घर की रक्षा ब्रह्मा विष्णु महेश कोई भी नही कर सकता है , उस घर को तो बरबाद होना ही है । एक लाख पूत सवा लाख नाती , ता रावण घर दिया न बाती॥   इस का अर्थ बताने के जरुरत ही नहीं , इतने मे समझन