राजा कृष्णसिंह ने भदौरा राज्य की गद्दी सँभालते ही राज्य के समस्त मुस्लमान सामँतोँ की सम्पत्ति जब्त कर उन्हें निकाल बाहर किया यह समाचार पाकर अकबर आग बबूला हो उठा, उसने 15000 चुनिँदा घुड़सवारोँ का सैन्य-दल भेजा परन्तु राजा कृष्णसिँह ने चबँल यमुना के बीहड़ी प्रदेश मेँ विकट व्यूह रचना कर छापा मार युद्ध किया, अकबर के बारह हजार घुड़सवार चबँल के भरकोँ मेँ मारे गये, शेष तीन हजार बच कर अकबर के पास पहुँचे तो उनका हाल देख अकबर अत्यँत क्रोधित हो उठा। अब अकबर ने अपने सबसे कुशल सेनापति मानसिंह को विशाल सेना के साथ भेजा पर वो सीधा आक्रमण करने की बजाये ग्वालियर में पड़ाव डाल और राजा कृष्णसिँह को मिलने के लिए सन्देश भेजा, कृष्णासिंह ने प्रत्युत्तर में मानसिंह को भिंड आने का निमंत्रण दिया। जिसे स्वीकार कर मानसिँह कुछ निजी अँगरछकोँ सहित भिण्ड पधारे और राजा कृष्णसिँह को स्नेहपूर्वक अपने साथ फतेहपुर सीकरी चलने के लिए तैयार कर लिया। दूसरे दिन दोनोँ राजा मय काफिले के फतेहपुर सीकरी पहुँचे। मानसिँह ने विशेष आवभगत कर कृष्ण सिँह को सुन्दर महल में ठहराया। अकबर ने साजिश रची थी और स्वयं अजमेर चला गया था, दूसरे दिन द्...
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