भदावर की शौर्यगाथा और सांस्कृतिक वैभव - भदावर, एक ऐतिहासिक रियासत थी यह क्षेत्र भदौरिया क्षत्रियों की कर्मभूमि रहा है, जिनका इतिहास वीरता, आत्मसम्मान और जनहितकारी प्रशासन से भरा पड़ा है। भदावर की मिट्टी से निकली गाथाएं न केवल तलवार की धार में झलकती हैं, बल्कि लोकगीतों और पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनी गई कहानियों में भी जीवित हैं। 19वीं शताब्दी के अंत तक भदावर एक समृद्ध और स्वायत्त ज़मींदारी थी। यहाँ के शासकों का संबंध ब्रितानी शासन से था और उन्होंने कई बार उपाधियाँ प्राप्त की थीं। इन्हीं में से एक थे महाराजा महेन्द्र सिंह, जिन्हें "Companion of the Indian Empire (C.I.E.)" की उपाधि भी मिली थी। 📜 नोटिस की पृष्ठभूमि : एक अधिसूचना जो इतिहास बन गई - 21 अगस्त 1902 को संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) के राजपत्र में एक अधिसूचना प्रकाशित हुई - जिसमें घोषित किया गया कि राजा महेन्द्र मान सिंह भदौरिया, उस समय केवल छह वर्ष के थे, और चूंकि वे नाबालिग थे, अतः उनके तथा भदावर एस्टेट की पूरी संपत्ति की निगरानी और प्रशासन कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट, 1899 के तहत ब्रिटिश सरकार ने अपने हाथ में ले ली थी। W.H. ...
भदावर
Bhadawar - Nostalgic Territory of Bhadauria's History, Culture and News of Bhadawar