दुनाली,पचफैरा,माउजर और मोटर सायकल के दीवाने चम्बल - भदावर, तँवरघार या बुन्देलखण्ड के वासी, हत्या, प्रतिशोध, अपहरण, प्रताडना, मुखबिरी और बेरोजगारी के माहौल में भी मूंछ पर ताब देकर कहते हैं... “ जाके बैरी सम्मुख ठाड़े, वाके जीवन को धिक्कार ” ये प्रतिष्ठा व ठाकुरी-ठसक की मिसाल है मीडिया में इस इलाके पर जो लिखा गया उसमे पक्षपात की बू आती है, जो लिखा गया वो सही विश्लेषण नहीं है। माना की यहाँ का इतिहास विद्रोह से भरा पड़ा है और यह बगावत की भावना आज भी बरकरारा है, प्रतिष्ठा, प्रतिशोध और प्रताडना चंबल के खून में है पर यही वजह है कि यहां की धरती डाकू पैदा करती है तो सरहद पर देश की रक्षा के लिए शहीद होने वाले वीर सिपाही भी, चंबल इलाके से देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले कहीं ज्यादा लोग सेना में हैं 1965 और 1972 की लड़ाई के अलावा कारगिल युद्द के दौरान भी यहां के कई जवान शहीद हुए थे। तो सच है की " पानीदार यहां का पानी, आग यहां के पानी में "
Bhadawar - Nostalgic Territory of Bhadauria's History, Culture and News of Bhadawar