महाभारत काल से ही भदावर अपनी भौगोलिक स्तिथि के करण भील-डाकुओं का स्थाई निवास बना रहा था । महाभारत (मूसलपर्व 15/22) में कथा आती है की कृष्ण के प्रस्थान के बाद बटेश्वर-सौरिपुर में बचे-कुछे बच्चो व स्त्रियों को लेकर जब धनुर्धर अर्जुन जा रहे थे तो भीलों ने अर्जुन को स्त्रियों सहित लूट लिया था । अर्जुन का गांडीव भी स्त्रियों- बच्चो की रक्षा ना कर सका था गांडीव धारी अर्जुन की ये पराजय लोकजीवन आज भी नहीं भुला है । भदावर में आज भी कहावत कही जाती है - " सबे दिन रहत न एक समान भीलन लूटीं गोपिका बेई अर्जुन बेई बान " प्राचीन भदावरी कहावतें जिनके गूढ अर्थ को अगर समझा जाये तो वे अपने अपने अनुसार बहुत ही सुन्दर कथन और जीवन के प्रति सावधानी को उजागर करती थी। इसी प्रकार से एक कहावत इस प्रकार से कही जाती है ।
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