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पनगोजा : भूला बिसरा लाजवाब भदावरी पकवान

चने की दाल के पकवान शास्त्रों के अनुसार सावन में लाभकारी होते हैं और इनके प्रयोग से भोलेनाथ बटेश्वरनाथ की कृपा से परिवार में खुशियाँ बरसती है। शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं और पूजन के बाद इसका दान करें और परिवार सहित चने की दाल के व्यंजनों का आनंद लीजिये। पनगोजा भकोसा रेसपी  भदावरी रेसिपी प्रस्तुत है।

चना दाल रात भर फूलने के लिए रख दीजिए। दालों के फूलने के बाद मिक्सर में या सिल पर पीस लीजिये। जीरा, अजवाइन, खड़ा धनिया तवे पर भूनकर पीस लीजिए। हल्दी पाउडर, हींग पाउडर, सोंठ पाउडर को भी हल्का सा भून लीजिए। इन सब मसालों व नमक को पिसी दाल में मिला दीजिए। गेहूं का आटा माड़ लीजिए, कुछ कड़ा रहे। रोटियां बेलिए और दाल व मसालों के मिश्रण को बीच में रखकर गुझियां जैसे बना लीजिए। एक कड़ाही में दो तीन लीटर पानी, एक चम्मच नमक व दो तीन चम्मच तेल पानी में डालकर गर्म कीजिये। जब पानी उबलने लगे तब कड़ाही के मुंह की चौड़ाई के आधार पर चार-चार या पांच-पांच दाल की गुझिया पानी में डाल दीजिए। 

पनगोजा भूला बिसरा लाजवाब भदावरी पकवान
पनगोजा : भूला बिसरा लाजवाब भदावरी पकवान 

पनगोजा खौलते पानी में डूब जाएंगे और कुछ देर बाद ऊपर आकर तैरने लगेंगे, पांच सात मिनट तक ऐसे ही तैरते हुए और पकने दीजिए। #पनगोजा पक चुके हैं इन्हें निकाल लीजिए। जब तक सभी पनगोजा पक न जाएं यही प्रक्रिया दोहराते रहिए। पनगोजा को टुकड़ों में काटकर खाइए। ये स्वादिष्ट व बहुत पौष्टिक होते हैं। इनको आम के अचार - हरी चटनी के साथ खाने में स्वाद और बढ़ जाता है।

पनगोजा को प्याज लहसुन हींग के साथ तेल में तल कर और स्वादिष्ट बनाया जाता है पर सीधे पानी में उबाल कर निकले पनगोजा ज्यादा पौष्टिक होते है। चने की दाल के पकवान शास्त्रों के अनुसार सावन में लाभकारी रहती है और भोलेनाथ बटेश्वरनाथ की कृपा से परिवार में खुशियाँ बरसती है। 

मोमोज़ छोड़िये और ये भूला बिसरा लाजवाब भदावरी पकवान घर की रसोई में जाग्रत कीजिए और आनंद लीजिए। 

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