भदावरी ग्रामीण कहावतें पुराने बुजुर्गों की कहावतें में कमाल की परख मिलती है मनुष्य की शारीरिक रचना से उसके व्यतिगत गुणों को परखती ये कहावत सौ में सत्तर आदमी पर सटीक बैठती है ये हिंदी कहावत अभद्र कहावतें की श्रेणी की लग सकती है इस कहावत में गूढ़ अर्थ के साथ कुछ शरारत भी नजर आती है और ये कहावत मजेदार कहावतें हो सकती हैं : सौ में सूर सहस में काना, सवा लाख में ऐचकताना, ऐंचकताना करे पुकार, कंजा से रहियो हुशियार, जाके हिये न एकहु बार, ताको कंजा ताबेदार, छोट गर्दना करे पुकार, कहा करे छाती को बार, अथार्त : एक अंधा सौ नेत्र वालो के बराबर व एक काना हजार के बराबर होता है। अंधे के प्रति स्वाभाविक दया भाव के कारण अँधा अगर चाहे तो सौ लोगो को छल सकता है, उसी प्रकार काने व्यक्ति में हजार लोगो को चलने की कुव्वत होती है। जब ध्यान केंद्रित करना होता है तो एक आँख बंद की जाती है, जैसे बन्दुक से निशाना लगाने के लिए, ये गुण काने में स्वाभाविक रूप में विधमान होता है तो वह हजार लोगो को अपने अनुसार चला सकता है। बात काटने वाले व्यक्ति को ऐंचकताना कहा जाता है, इस प्रकार का व्यक्ति अनुभवी होता है और सभी क्षेत्...