Skip to main content

भदावरी कहावते -3

कागज केडा पान मह दासी दुर्जन बाम,
दस दाबे रस देत है रहुआ महुआ आम।।
अर्थात : कागज को दबा कर यानी सुरक्षित रखने पर वक्त पर काम देगा, केले को बन्द स्थान मे रखने से मीठा बना रहेगा, पान को मुंह मे दबा कर रखने से रस देता रहेगा, मह यानी खुशबू को बंद रखने से वह बनी रहेगी, सेवको को धन और सम्मान से दबाकर रखने से वह भला बना रहेगा, दुष्ट व्यक्ति को दबा कर रखने से वह भला करता रहेगा शादी के बाद पत्नी को कुल रीतियों से दबाकर रखने से वह संस्कारी बनीं रहेगी, अन्जान रहुआ यानी अन्जान व्यक्ति को नजर मे रखने से और खुला नही छोडने से तथा महुआ जो मीठा रस देता है उसे दबाने से ही रस मिलता है आम को भी दबाने से रस मिलता है।
  
जिनके पशु प्यासे बंधे, त्रियां करें कलेश,
उनकी रक्षा ना करें, ब्रह्मा विष्णु महेश ।।
अर्थात : जिसके दरवाजे पर पशु प्यासे बंधे हुये है और घर की महिलायें क्लेश में रहती है तो उस घर की रक्षा ब्रह्मा विष्णु महेश कोई भी नही कर सकता है, उस घर को तो बरबाद होना ही है ।

एक लाख पूत सवा लाख नाती, ता रावण घर दिया न बाती॥ 
इस का अर्थ बताने के जरुरत ही नहीं, इतने मे समझना ही काफ़ी है...

"ऊंची नारी ना जमे, नीची जमि सडि जाय"
अर्थात : नारी का दो अर्थो मे प्रयोग किया गया है एक नारी स्त्री के लिये और दूसरी नारी खेत मे बीज बोने वाले हल की जमीन को खोद कर चलने वाली कील के लिए, अगर खेत मे बीज बोने वाली नारी ऊंची चलने लगी तो बीज ऊपर ही रह जायेगा और बिना आद्रता के जम नही पायेगा, अगर उसे नीचे लगा दो तो बीज अधिक आद्रता के साथ जमीन मे नीचे रहकर जमेगा तो लेकिन ऊपर नही आ पायेगा, और सड जायेगा, उसी प्रकार से अगर स्त्री अपनी औकात से अधिक ऊपर चलने लगती है समाज की मर्यादा और परिवार से दूर जाती है तो वह आगे की सन्तान और परिवार की क्षमता का विकास नही कर पायेगी, अगर अधिक झुककर चलती रही तो परिवार के लोग उसे नकारा समझ कर दूर करते रहेंगे, वह सब कुछ परिवार के लिये करेगी लेकिन मान्यता नही होने से वह किया गया सभी कुछ बेकार हो जायेगा। इस तरह भदावरी कहावते सामजिक सीख देती रही है ।

Popular posts from this blog

भदौरिया : गोत्रचार-शाखाचार

भ दौरिया वंश के गोत्रचार शाखाचार इस प्रकार है  वंश : अग्निवंशी   राजपूत गोत्र : वत्स शाखा   : राउत , मेनू , तसेला , कुल्हिया , अठभईया रियासत : चंद्रवार ,  भदावर ,  गोहद ,  धौलपुर ईष्ट देव : बटेश्वरनाथ (महादेव शिव) ईष्ट देवी : भद्रकाली ( भदरौली व् अमहमदाबाद) मंत्र : ॐ ग्लौं भद्रकाल्यै नमः नगाड़ा : रणजीत निसान : केसरिया वृक्ष : पीपल पक्षी : परेवा (कबूतर) वेद : श्याम तीर्थ : बटेश्वर घाट : विठूर लोकगीत : लंगुरिया , सपरी शस्त्रीय संगीत : ग्वालियर घराना

भदौरिया कुटुम्ब

भदौरिया एक प्रशिद्ध और राजभक्त कुल है इनका नाम ग्वालियर के ग्राम भदावर पर पड़ा भदौरिया साम्राज्य का उदय  चम्बल घाटी के खारों  में बड़ी ही विसम पर्तिस्थियों में हुआ ।  उनके गढ़ पर समय समय पर सय्यिद राजाओ का आक्रमण होता रहा । भदौरिया हमेशा ही दिल्ली के सुलतान से बगावत करते रहे, वे अपने शौर, उग्र सव्भाव और स्वाधीनता प्रेम के लिए जाने जाते है।  इस कुटुम्ब के संस्थापक मानिक राय (720-794), अजमेर को मना जाता है, उनके पुत्र राजा चंद्रपाल देव (चंद्रवार के राजा 794-816) ने "चंद्रवार" रियासत की स्थापना की और वहां एक किले का निर्माण कराया। चंद्रवार 1208 तक भदौरियो के अधिपत्य में रहा । मुगलों ने बाद में इस का नाम फिरोजाबाद  कर दिया। चन्द्रपाल देव के पुत्र राजा भदों राव (816-842) लोकप्रिय नाम "भादूराणा" ने भदौरागढ़ नामक नगर बसाया (इसका वर्तमान नाम पिनहाट है ) और उन्होने 820 में उत्तंगन नदी के तट पर किले का निर्माण कराया । 'भदौरा' के निवासी भदौरिया नाम जाने जाने लगे। राव कज्जल देव (1123-1163) ने 1153 में हथिकाथ पर कब्जा किया और अपनी राज्य की सीमओं को आज की बाह तहसील तक ब

भदावरी ग्रामीण कहावतें: व्यक्तिगत गुणों की परख और मजेदार कहावतें !

भदावरी ग्रामीण कहावतें पुराने बुजुर्गों की कहावतें में कमाल की परख मिलती है मनुष्य की शारीरिक रचना से उसके व्यतिगत गुणों को परखती ये कहावत सौ में सत्तर आदमी पर सटीक बैठती है ये हिंदी कहावत अभद्र कहावतें की श्रेणी की लग सकती है इस कहावत  में गूढ़ अर्थ के साथ कुछ शरारत भी नजर आती है और ये कहावत मजेदार कहावतें हो सकती हैं : सौ में सूर सहस में काना, सवा लाख में ऐचकताना, ऐंचकताना करे पुकार, कंजा से रहियो हुशियार, जाके हिये न एकहु बार, ताको कंजा ताबेदार, छोट गर्दना करे पुकार, कहा करे छाती को बार, अथार्त : एक अंधा सौ नेत्र वालो के बराबर व एक काना हजार के बराबर होता है। अंधे के प्रति स्वाभाविक दया भाव के कारण अँधा अगर चाहे तो सौ लोगो को छल सकता है, उसी प्रकार काने व्यक्ति में हजार लोगो को चलने की कुव्वत होती है। जब ध्यान केंद्रित करना होता है तो एक आँख बंद की जाती है, जैसे बन्दुक से निशाना लगाने के लिए, ये गुण काने में स्वाभाविक रूप में विधमान होता है तो वह हजार लोगो को अपने अनुसार चला सकता है। बात काटने वाले व्यक्ति को ऐंचकताना कहा जाता है, इस प्रकार का व्यक्ति अनुभवी होता है और सभी क्षेत्रो क