कागज केडा पान मह दासी दुर्जन बाम,
दस दाबे रस देत है रहुआ महुआ आम।।
दस दाबे रस देत है रहुआ महुआ आम।।
अर्थात : कागज को दबा कर यानी
सुरक्षित रखने पर वक्त पर काम देगा, केले को
बन्द स्थान मे रखने से मीठा बना रहेगा, पान को
मुंह मे दबा कर रखने से रस देता रहेगा, मह यानी
खुशबू को बंद रखने से वह बनी रहेगी, सेवको को
धन और सम्मान से दबाकर रखने से वह भला बना रहेगा, दुष्ट
व्यक्ति को दबा कर रखने से वह भला करता रहेगा शादी के बाद पत्नी को कुल रीतियों से
दबाकर रखने से वह संस्कारी बनीं रहेगी, अन्जान
रहुआ यानी अन्जान व्यक्ति को नजर मे रखने से और खुला नही छोडने से तथा महुआ जो
मीठा रस देता है उसे दबाने से ही रस मिलता है आम को भी दबाने से रस मिलता है।
जिनके पशु प्यासे बंधे, त्रियां करें कलेश,
उनकी रक्षा ना करें, ब्रह्मा विष्णु महेश ।।
उनकी रक्षा ना करें, ब्रह्मा विष्णु महेश ।।
अर्थात : जिसके दरवाजे पर पशु
प्यासे बंधे हुये है और घर की महिलायें क्लेश में रहती है तो उस घर की रक्षा
ब्रह्मा विष्णु महेश कोई भी नही कर सकता है, उस घर को
तो बरबाद होना ही है ।
एक लाख पूत सवा लाख
नाती, ता रावण घर दिया न बाती॥
इस का अर्थ बताने के जरुरत ही नहीं, इतने मे समझना ही काफ़ी है...
"ऊंची नारी ना जमे, नीची जमि
सडि जाय"
अर्थात : नारी का दो अर्थो मे प्रयोग किया गया है एक नारी “स्त्री” के लिये
और दूसरी नारी खेत मे बीज बोने वाले हल की जमीन को खोद कर चलने वाली कील के लिए, अगर खेत मे बीज बोने वाली नारी ऊंची चलने लगी तो बीज ऊपर ही
रह जायेगा और बिना आद्रता के जम नही पायेगा, अगर उसे
नीचे लगा दो तो बीज अधिक आद्रता के साथ जमीन मे नीचे रहकर जमेगा तो लेकिन ऊपर नही
आ पायेगा, और सड जायेगा, उसी
प्रकार से अगर स्त्री अपनी औकात से अधिक ऊपर चलने लगती है समाज की मर्यादा और
परिवार से दूर जाती है तो वह आगे की सन्तान और परिवार की क्षमता का विकास नही कर
पायेगी, अगर अधिक झुककर चलती रही तो परिवार के लोग उसे नकारा समझ कर
दूर करते रहेंगे, वह सब कुछ परिवार के लिये करेगी लेकिन मान्यता नही होने से
वह किया गया सभी कुछ बेकार हो जायेगा। इस तरह भदावरी कहावते सामजिक सीख देती रही है ।