प्राचीन ग्रामीण कहावतें
भी ज्योतिष से अपना सम्बन्ध रखने वाली मानी जाती थी, जिनके
गूढ अर्थ को अगर समझा जाये तो वे अपने अनुसार बहुत ही सुन्दर कथन और जीवन के प्रति
सावधानी को उजागर करती थी। इसी प्रकार से एक कहावत इस प्रकार से कही
जाती है
" मंगल
मगरी, बुद्ध खाट, शुक्र
झाडू बारहबाट,
शनि कल्छुली रवि कपाट, सोम की लाठी फ़ोरे टांट "
शनि कल्छुली रवि कपाट, सोम की लाठी फ़ोरे टांट "
यह कहावत भदावर से लेकर चौहानी तक कही जाती है।
इसे अगर समझा जाये तो मंगलवार को
राहु का कार्य घर में छावन के रूप में चाहे वह छप्पर के लिये हो या छत बनाने के
लिये हो, किसी प्रकार से टेंट आदि लगाकर किये जाने वाले कार्यों से
हो या छाया बनाने वाले साधनों से हो वह हमेशा दुखदायी होती है।
शुक्रवार को राहु के रूप में झाडू
अगर लाई जाये, तो वह घर में जो भी है उसे साफ़ करती चली जाती है।
शनिवार के दिन लोहे का सामान जो
रसोई में काम आता है लाने से वह कोई न कोई बीमारी लाता ही रहता है,
रविवार को मकान दुकान या किसी
प्रकार के रक्षात्मक उपकरण जो किवाड गेट आदि के रूप में लगाये जाते है वे किसी न
किसी कारण से धोखा देने वाले होते है, सोमवार
को लाया गया हथियार अपने लिये ही सामत लाने वाला होता है।
"मंगल
मगरी, बुद्ध खाट, शुक्र
झाडू बारहबाट,
शनि कल्छुली रवि कपाट, सोम की लाठी फ़ोरे टांट "
शनि कल्छुली रवि कपाट, सोम की लाठी फ़ोरे टांट "