भारतीय संसद की वास्तुकला इसी चौसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित है। चम्बल गूढ़ व रहस्यमय तंत्र शक्तियों का खजाना अपने सीने में समेटे हुये है। मुरैना के मितावली ग्राम में स्थित चौंसठ योगनी मन्दिर का तंत्र शास्त्र में अत्यधिक महिमा है। कहा जाता है की भारतीय संसद की वास्तुकला इसी चौसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित है। जी हाँ ये वही मुरैना है, जो गजक की मिठास और बीहड़ों की भयावहता के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर को ग्यारवी सदी में बनवाया गया था। इसे इकंतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस गोलाकार मंदिर की ऊंचाई भूमि तल से 300 फीट है और इसकी त्रिज्या 170 फीट है मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है। इसका निर्माण तत्कालीन प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था। यह मंदिर गोलाकार है। इसी गोलाई में बनी चौंसठ कोठरियों में एक-एक योगिनी स्थापित थी। मंदिर के मध्य मुख्य परिसर में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। यहाँ भगवान शिव के साथ चौंसठ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है। देवी की कुछ मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं औ...
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