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शहीद मेला 2020 : बेवर मैनपुरी

"शहीद मेला" देश में शहीदों की याद में लगने वाला सबसे लंबी अवधि का मेला है जो कि 19 दिनों तक मैनपुरी जनपद के बेवर नामक स्थान पर लगता है| इस मेले में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के तमाम जाने अनजाने अमर शहीदों, क्रांतिवीरों को याद किया जाता है|यह मेला उनके विचारों व स्मृतियों को संजोए रखने का एक प्रयास है।


वर्ष 1942 का समय था उस समय देश पराधीन था| महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध "भारत छोड़ो आन्दोलन" छेड़ रखा था| वे भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र देखना चाहते थे| "'भारत छोड़ो आन्दोलन"' के कारण विभिन्न स्थानों पर ब्रिटिश सत्ता के विरूद्ध भारतीय जनमानस द्वारा जन-जागरण,जुलूस, विदेशी सामानों के बहिष्कार के द्वारा तीव्र विरोध हो रहे थे इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के बेवर नामक स्थान पर 14 अगस्त 1942 को जूनियर हाईस्कूल (कक्षा 6 व् 7 के छात्र ) व बेवर के कुछ उत्साही युवा छात्र (हाथों में तिरंगा थामे जूलुस निकाल रहे थे)। इन उत्साही युवाओं ने थानेदार आलेअली की पिस्तौल छीन ली व थाने पर कब्ज़ा कर लिया। अंग्रेजी सत्ता की आँख में ये कांटे सा चुभ गया फलस्वरूप रात्रि में ढेर सारी पुलिस नगर में भेज दी गई, धारा 144 लगा दी गई, पर आज़ादी के दीवानें कहाँ मानने वाले थे। 15 अगस्त 1942 को फिर चल पड़ा, छोटे छोटे छात्रों 14 वर्ष के विद्यार्थी कृष्ण कुमार , 15 वर्ष के जगदीशनारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में कारवाँ /ये जुलूस नारे लगाते और झंडा-गान गाते हुए थाना बेवर पर आकर रूक गया। बेवर थाने पर झंडा तिरंगा फहराने का दृढ़ निश्चय कर चुके थे मिडिल स्कूल के छात्र व नगर के लोग।थाने पर पहले से ही मुस्तैद पुलिस से हुई भिड़ंत और चल पड़ी अंग्रेज पुलिस की निरंकुश गोलियां / परिणाम सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले 14 वर्षीय विद्यार्थी कृष्ण कुमार, 40 वर्षीय जमुना प्रसाद त्रिपाठी और 42 वर्षीय सीताराम गुप्त की घटनास्थल पर ही शहीद हो गए |

इन शहीदों के साथ साथ देश के तमाम जाने अनजाने अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने, उनकी स्मृतियों, उनके विचारों को संजोए रखने व भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से 1972 से प्रतिवर्ष ""शहीद मेला"" का आयोजन होता है।

स्वाधीनता सेनानी और भोगांव, (मैनपुरी) से दो बार विधायक रहे स्व0 जगदीश नारायण त्रिपाठी ने वर्ष 1972 से "'शहीद मेला"' के द्वारा शहीदों की स्मृतियों को जीवन्त रखने की शुरुआत की थी। तब से ही यह मेला प्रतिवर्ष जंग-ए-आजा़दी के शहीदों की स्मृतियां संजोकर कर युवा पीढ़ी को रोमांचित करता रहा है| वर्तमान में "'शहीद मेला"' संयोजक इं0 राज त्रिपाठी की देखरेख में कारवां की तरह आगे बढ़ रहा है|

बेवर, मैनपुरी में चलने वाले इस ""शहीद मेला"" में जंग-ए-आजा़दी में शामिल सभी महानायकों को शिद्दत से याद किया जाता है। 19 दिन तक चलने वाले इस मेले में प्रत्येक दिन विभिन्न लोक सांस्कृतिक- सामाजिक कार्यक्रम जैसे - शहीद प्रदर्शनी, नाटक, फोटो प्रदर्शनी, शहीद परिजन सम्मान समारोह, रक्तदान शिविर, स्वतंत्रता सेनानी सम्मेलन, लोकनृत्य प्रतियोगिता, पत्रकार सम्मेलन, कवि सम्मेलन, राष्ट्रीय एकता सम्मेलन व शहीद मेला फ़िल्म फेस्टिवल आदि आयोजित होते हैं।

वर्ष 1994 में थाना-बेवर, जिला-मैनपुरी के सामने "शहीद मंदिर" का निर्माण किया गया। यहां 1942 की जनक्रांति में शहीद हुए तीनों अमर शहीदों ( जमुना प्रसाद त्रिपाठी,विद्यार्थी कृष्ण कुमार उम्र 14 वर्ष और सीताराम गुप्त) की समाधि भी हैं। इस अनोखे "शहीद मंदिर" में इन 3 अमर शहीदों के साथ ही अन्य 2 शहीदों की प्रतिमाएं भी हैं एक क्रांतिकारियों के द्रोणाचार्य कहे जाने वाले ,मातृवेदी नामक गुप्त संस्था के संस्थापक व मैनपुरी एक्शन के अगुवा बाह के मई गांव में जन्मे #पंडितगेंदालालदीक्षित एवं दूसरी नवीगंज नगर के शहीद कुंवर देवेश्वर तिवारी की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं इसके अलावा यहां आज़ादी के 21 महानायकों की प्रतिमाएं भी एक मण्डप तले लगी हुई हैं। देश भर में एक मंडप के तले जंग-ए-आजा़दी के योद्धाओं की यादों को संजोने वाला यह इकलौता मंदिर है।

सांभर : विकिपीडिया और #शहीदमेला का इंतरजाल (वेबसाइट)

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