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चन्दवार किला

इस किले का निर्माण राज्य के सँस्थापक राजा चन्द्रपालदेव ने कराया था । सँवत 850 मेँ अपने नाम से चन्दवार नगर तथा किला बना कर राज्य प्रारम्भ किया। इस किले पर विभिन्न कालोँ मेँ विदेशी मुसलमान शासकोँ ने समय समय पर आक्रमण किये इस क्रम मेँ ही अलाउद्धीन खिलजी ने अपने आक्रमण से इस किले को नष्ट कर दिया था और चन्दवार नगर को भी उजाड़ दिया था पर यह पुनः भदौरियोँ के अधिकार मेँ आ गया फिर बाबर तथा शेरशाह ने अपनी तोपोँ से पुनः तबाह कर दिया गया, जो आज मात्र एक विशालकाय गुम्बद लिये भग्नावशेष के रूप मेँ है आज का फिरोजाबाद नगर प्राचीन चन्दवार नगर का ही भाग है जो काँच का सामान बनाने का दुनिया का एक बड़ा केन्द्र है।


चन्दवार  जो आज फिरोजाबाद नगर से लगभग 5 किमी0 दक्षिण में यमुना तट पर स्थित है । पहले फिरोजाबाद आगरा जिले का ही परगना था बाद में तहसील बना ।वर्तमान में चन्दवार तो एक छोटा सा गांव मात्र है 

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भदौरिया : गोत्रचार-शाखाचार

भ दौरिया वंश के गोत्रचार शाखाचार इस प्रकार है  वंश : अग्निवंशी   राजपूत गोत्र : वत्स शाखा   : राउत , मेनू , तसेला , कुल्हिया , अठभईया रियासत : चंद्रवार ,  भदावर ,  गोहद ,  धौलपुर ईष्ट देव : बटेश्वरनाथ (महादेव शिव) ईष्ट देवी : भद्रकाली ( भदरौली व् अमहमदाबाद) मंत्र : ॐ ग्लौं भद्रकाल्यै नमः नगाड़ा : रणजीत निसान : केसरिया वृक्ष : पीपल पक्षी : परेवा (कबूतर) वेद : श्याम तीर्थ : बटेश्वर घाट : विठूर लोकगीत : लंगुरिया , सपरी शस्त्रीय संगीत : ग्वालियर घराना

भदौरिया कुटुम्ब

भदौरिया एक प्रशिद्ध और राजभक्त कुल है इनका नाम ग्वालियर के ग्राम भदावर पर पड़ा भदौरिया साम्राज्य का उदय  चम्बल घाटी के खारों  में बड़ी ही विसम पर्तिस्थियों में हुआ ।  उनके गढ़ पर समय समय पर सय्यिद राजाओ का आक्रमण होता रहा । भदौरिया हमेशा ही दिल्ली के सुलतान से बगावत करते रहे, वे अपने शौर, उग्र सव्भाव और स्वाधीनता प्रेम के लिए जाने जाते है।  इस कुटुम्ब के संस्थापक मानिक राय (720-794), अजमेर को मना जाता है, उनके पुत्र राजा चंद्रपाल देव (चंद्रवार के राजा 794-816) ने "चंद्रवार" रियासत की स्थापना की और वहां एक किले का निर्माण कराया। चंद्रवार 1208 तक भदौरियो के अधिपत्य में रहा । मुगलों ने बाद में इस का नाम फिरोजाबाद  कर दिया। चन्द्रपाल देव के पुत्र राजा भदों राव (816-842) लोकप्रिय नाम "भादूराणा" ने भदौरागढ़ नामक नगर बसाया (इसका वर्तमान नाम पिनहाट है ) और उन्होने 820 में उत्तंगन नदी के तट पर किले का निर्माण कराया । 'भदौरा' के निवासी भदौरिया नाम जाने जाने लगे। राव कज्जल देव (1123-1163) ने 1153 में हथिकाथ पर कब्जा किया और अपनी राज्य की सीमओं को आज की बाह तहसील तक ब

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