यह किला चन्द्रपाल देव के पुत्र भादूराणा ने बाह एवँ
वर्तमान फतेहाबाद के मध्य गम्भीरी नदी के किनारे अपने नाम से नर्मित करा कर नगर
बसाया जो भदौरागढ़ कहलाया तथा उनके वँशज भदौरिया कहलाने लगे एवँ
यह राज्य भदावर राज्य के नाम से मशहूर हुआ। महाराज
शल्यदेव भदौरागढ़ के संग्राम में कुतबूददीन एबक की विशाल फौज से लड़ते लड़ते
वीरगति को प्राप्त हो गये, लगातार
आक्रमण कर आक्रान्ताओँ द्वारा यह पूर्णतः नष्ट कर दिया गया अब टीला मात्र शेष रह
गया है ।
सन 1194 के चन्द्रवार और भदौरागढ़ के युद्ध मेँ, हिंदू स्वतंत्रता का अस्तित्व दांव पर लगा था और ये सभी क्षेत्रों में हिंदू प्रतिरोधों का अंतिम बड़ा प्रतिरोध था इसके बाद ही 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक की दिल्ली के सिंहासन पर कब्जे और भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ी ।
सन 1194 के चन्द्रवार और भदौरागढ़ के युद्ध मेँ, हिंदू स्वतंत्रता का अस्तित्व दांव पर लगा था और ये सभी क्षेत्रों में हिंदू प्रतिरोधों का अंतिम बड़ा प्रतिरोध था इसके बाद ही 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक की दिल्ली के सिंहासन पर कब्जे और भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ी ।