भिंड किला 18वीं शताब्दी में भदावर राज्य के
शासक गोपाल सिंह भदौरिया ने बनवाया था। भिण्ड किले का स्वरूप आयताकार रखा गया था, प्रवेश द्वार पश्चिम में है। इस आयताकार किले के चारों ओर एक
खाई बनाई गई थी। दिल्ली से ओरछा जाने के मार्ग के मध्य मेँ
होने से यह किला अत्यन्त महत्वपूर्ण था किले मेँ कई विशाल भवनोँ का निर्माण कराया
गया सबसे बड़ा भवन मुख्य दरवाजे के सामने है जिसे दरबार हाल कहा जाता है उत्तर की
ओर शिव मन्दिर बना है तथा प्रसिद्ध भिण्डी ऋषि का मन्दिर भी किला परिसर मेँ बना
हुआ है किले मेँ अनेक तहखाने बने हुए थे किन्तु दछिणी ओर एक विशाल तलघर पर चबूतरा
बना कर इसे गुप्त कर दिया गया था कहा जाता है कि यह कोषागार था वर्तमान मेँ इस चबूतरे पर एक भवन निर्मित है एवँ इसके सामने दो प्राचीन तोपेँ
रखी हुई हैँ किले की उत्तर दिशा मेँ प्राचीर से सटा हुआ एक कुआ है यह कुआ किले के निवासियो
को पेय जल उपलब्ध कराने हेतु बनवाया गया था । कहा जाता है कि महासिँह तथा राजा
गोपाल सिँह ने सँकट के समय किले से बाहर जाने के लिये कई सुरँगो का निर्माण कराया
था एक सुरँग भिण्ड किले से नबादा बाग होती हुई जवासा की गढ़ी मेँ पहुँचती थी फिर
क्वारी नदी पार करने पर परा की गढ़ी से शुरू हो कर अटेर किले मेँ पहुँचती थी इसी
प्रकार सुरँगोँ का मार्ग अटेर किले से रमा कोट तक जाता था।
राजा महासिँह व गोपाल
सिँह ने तथा बखतसिँह ने अपने निवास हेतु नबादा बाग मेँ अपना महल तथा अनेक सुन्दर
भवन बनवाये थे एवँ चारोँ ओर प्राचीर भी बनवाई थी जिसके अन्दर शानदार इमारतेँ थीँ
नौका बिहार के लिये राजा का तालाब व रानी का तालाब अलग अलग बनबाये गये थे इनमेँ
फव्वारोँ से जल गिरता था भवनोँ पर सुवर्ण मय नक्काशी की गयी थी वर्तमान मेँ ये
सुन्दर भवन खण्डहर मेँ परवर्तित हो नष्ट हो चुके हैँ भिण्ड जिला जब से सिन्धिया के
अधीन हुआ तभी से नबादाबाग खण्डहर कर दिये गये थे तत्कालीन भिण्ड प्रदेश के भदावर तथा कछवाहोँ के लिये दौलतराव सिन्धिया एक क्रूर ग्रह के
समान था जिसने उनकी स्वतन्त्र सत्ता का अन्त कर दिया भिण्ड जिला जबसे सिन्धिया के
अधीन हुआ तभी से भिण्ड के किले मेँ सभी कार्यालय स्थापित कर दिये गये थे उस समय
जिलाधीश को सूबा साहब कहा जाता था तब से लेकर नवीन भवन बनने तक कलेक्टर कार्यालय
तथा कचहरी, दफ्तरोँ व कोषालय सहित समस्त आफिस भिण्ड
किले मेँ ही स्थापित रहे वर्तमान मेँ किले के दरबार हाल मेँ पुरातत्व सँग्रहालय है
एक भाग मेँ शासकीय कन्या महाविद्यालय सँचालित है एक भाग मेँ होमगार्ड कार्यालय तथा
सैनिकोँ के निवास हैँ शेष भाग रिक्त है जो धीरे धीरे खण्डहर होता जा रहा है चारोँ
ओर की प्राचीर मेँ अतिक्रमणकारी खुदाई मेँ लगे रहते हैँ इससे इस इतिहासिक धरोहर को
छति पहुँच रही है।